रामनवमी महत्व इतिहास और पूजा विधि Ramnavami Significance History and Worship Law

Ramnavami-हिन्दू सम्प्रदाय की आस्था और श्रदा के प्रतीक मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्री राम को यह त्यौहार समर्पित हैं.इस दिन को भगवान् राम जी की जन्मतिथि के रूप में बड़े-ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता हैं .रामनवमी का पर्व शुक्ल पक्ष की नवमी को पड़ता हैं .जो अग्रेजी कलेंडर के अनुसार अप्रेल महीने के शुरूआती सप्ताह में पड़ता हैं.भगवान् राम में आस्था रखने वाले इस दिन को सदाचार और सच्चाई का  प्रतीक मानते हैं. मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम जिन्होंने महाराजा दशरथ जी के घर भगवान विष्णु के रूप में अवतार लिया था.भगवान् राम जी को आस्था के साथ-साथ सुख-समृद्धि पूर्ण व सदाचारपूर्ण माना जाता हैं | धार्मिक कथाओ के अनुसार एक समय में रावण अजेय समझा जाता था .उनके अत्याचार से तंग होकर देवलोक से विष्णु का अवतार लेकर दशरथ के घर जन्मे | आज भी रामराज्य की कल्पना का आधार उस वक्त के अवध साम्राज्य की सुख समर्धि और सुरक्षा के लिए कल्पनाये गढ़ी जाती हैं |

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नवमी के दिन भक्त लोग श्रद्धा भाव से भगवान राम की पूजा और भाव भरे गीत गाये जाते हैं. रामजन्मोत्सव के दिन श्रीराम ,भाई लक्ष्मण,हनुमान जी और माता सीता की रथ यात्राये निकाली जाती हैं.भगवान् राम के जन्मस्थल अयोध्या इस आयोजन का केंद्र बिंदु रहता हैं जहां देश विदेश से श्रदालु आकर रामायण का पावन पाठ किया जाता हैं | जो भक्त राम जन्मभूमि नहीं आ पाते हैं. वो अपने घर पर ही श्रद्धा-पूर्वक श्रीराम की पूजा अर्चना कर रामायण का पाठ किया जाता हैं |

रामनवमी महत्व

नवमी के दिन लोग घरो में चावल,जल,फुल आदि से पुरुषोतम श्रीराम की पूजा आराधना करते हैं.प्रथा के अनुसार परिवार में नन्ही बालिका द्वरा परिवार के सभी सदस्यों को कुमकुम सहित चावल का टीका लगाया जाता हैं.रामनवमी में पूजा में भाग लेने वाला प्रत्येक सदस्य श्रीराम की मूर्ति अथवा तस्वीर पर चावल सहित भोग लगाते हैं.जलभोग लगाने के बाद सभी परिवार जने खड़े होकर रामलला की आरती उतारते हैं.और भजन कीर्तन किया जाता हैं. भजन कीर्तन और पूजा की समाप्ति पर गंगालज की छिड़का जाता हैं |

इस दिन का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व हैं.भगवान् राम को विष्णु का सातवाँ अवतार माना जाता हैं.इस त्यौहार की शुरुआत चेत्र मास की एकम से आरम्भ होकर नो दिन रामनवमी तक चलता हैं. इन्हे नवरात्र भी कहा जाता हैं | रामनवमी को भारत सहित दुनिया के हर कोने में मनाया जाता हैं.जहां भी भगवान राम के आस्तिक रहते हैं,वही दूसरी तरफ भारत के तमिलनाडु राज्य में इस त्यौहार को उतनी वरीयता नही दी जाती हैं | जितनी देश के अन्य भागो में दी जाती हैं |

इतिहास

धार्मिक कथाओ के अनुसार रामनवमी का इतिहास बहुत पुराना हैं.राम-रावण का समय त्रेतायुग माना जाता था.रामायण के अनुसार महाराजा दशरथ जी के तीन रानियाँ थी.सुमित्रा,कोशल्या और कैकेयी कई वर्षो तक राजा दशरथ को कोई सन्तान नही हुई,अतत उन्होंने कामिथी यज्ञ करवाया ,और इसके बाद तीनो रानियों ने पुत्रो को जन्म दिया. ,रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि द्वारा की गयी ,उन्के मुताबिक भगवान् श्रीराम सभी मनुष्यों में श्रेष्ट थे.बड़ो की आज्ञा पालन,राजधर्म का पालन उनके जीवन के सिदान्त थे.राजा राम की शादी लक्ष्मी की अवतार रूप सीता से हुई थी.कैकेयी के वर के परिणामस्वरूप राम को चोदह वर्ष का वनवास व्यतीत करना पड़ा था.और इसी दोरान रावण सीता का हरण कर लेता हैं और दोनों के बिच युद्ध होता हैं. राम-रावण युद्ध में सारे असुरो को नाश कर राम अयोध्या लोट आते हैं |

पूजा विधि

रामनवमी का त्यौहार देशभर में भिन्न-भिन्न तरीको से मनाया जाता हैं.अधिकाश देश में इसकी पूजा नवमी के सूर्य उदय के साथ ही शुरू हो जाती हैं.लोग स्नान कर भगवान् राम जी की आरती उतारते हैं.देहाती इलाको में लोग दिन के समय अपने आराध्य देव के मन्दिर में एकत्रित हो जाते है.जहां आराध्य श्रीराम की पूर्ण श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की जाती हैं.और भगवान् के भजन का गायन होता हैं.अयोध्या जो कि भगवान् राम की जन्म स्थली हैं . भक्त लोग आभूषण ,कपडे और फुल लेकर धाम पहुचते हैं,जहां सभी को प्रसाद वितरित की जाती हैं.इस दिन भक्त उपवास रखते हैं ,जिन्हें शाम को पूजा के साथ भोजन ग्रहण कर तोड़ते हैं |

इस दिन मन्दिरों में मुख्यतः रामायण,रामचरितमानस और भागवत गीता का सामूहिक पाठ होता हैं.इसके बाद राम-लखन ,हनुमान और जानकी की शहर के सभी भागो से रथ यात्रा निकाली जाती हैं. यह त्यौहार सभी देशवासियों के बिच सोहाद्र और भाईचारा बढ़ाने वाला पर्व हैं.इस दिन व्रत रखने से ज्ञान और शक्ति का विस्तार होता हैं.सभी सनातनी बच्चो को इस दिन अपने माता-पिता के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना ,उस परम्परा का निर्वहन हैं .जो हजारो सालो से चली आ रही हैं |

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